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अयोध्या श्रीराम मंदिर देश वासियों के संकल्प का सुखद परिणाम

कानपुर नगर। मंगलवार 25नवम्बर 2025 (सूत्र/सूवि/पीआईबी) सूर्य दक्षिरायण, मार्गशीर्ष मास शुक्ल पक्ष की पंचमी (विवाह पंचमी) शरद ऋतु २०८२ कालयुक्त नाम संवत्सर। अयोध्या में श्रीराम मंदिर आंदोलन, बलिदान और न्याय का प्रतीक है। अयोध्या का राम मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं बल्कि करोड़ों सनातन धर्मियों की आस्था, संघर्ष, कारसेवकों के बलिदान,न्याय और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की कथा है। 

पांच दशकों के लंबे संघर्ष और इंतजार के बाद आज वो शुभ घड़ी आ गई, जब देश-दुनिया के आस्था के केंद्र प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या में भव्य राम मंदिर पूर्ण हो गया। यह आयोजन केवल अनुष्ठान नहीं पांच सदी के संकल्प की पराकाष्ठा है।

बाबर की शह पर 1528 में रामनगरी में जिस मंदिर को तोड़ दिया गया था, वहीं भव्य श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण की पांचवी सदी से चली आ रही प्रतीक्षा समाप्त होने का ऐतिहासिक पल आ गया है। 5 अगस्त 2020 को पीएम मोदी ने जब राम मंदिर का शिलान्यास किया था, तब करोड़ों रामभक्तों की आंखें नम थीं। उस दिन अयोध्या ने सदियों का इंतजार समाप्त होते देखा। 22 जनवरी 2024 को प्राण प्रतिष्ठा के साथ रामलला अपने नवीन मंदिर में विराजमान हुए। देश-दुनिया के कोने-कोने से आए श्रद्धालु उस अलौकिक दृश्य के साक्षी बने, जब प्रभु श्रीराम की मूर्ति में प्राण फूंके गए। मंदिर के गर्भगृह, नृत्य मंडप, सिंह द्वार और भय खंड के साथ ध्वजारोहण के साथ मंदिर का निर्माण पूर्ण हो चुका है। ये बातें भाजपा क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रकाश पाल ने भाजपा दक्षिण जिला द्वारा जूही हनुमान मंदिर प्रांगण में आयोजित कार्यक्रम में कही।

विधायक महेश त्रिवेदी ने कहा कि राम मंदिर निर्माण का सफर काफी चुनौतियों भरा रहा है। बाबरी विवाद, अदालतों में चली लंबी लड़ाई और फिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मंदिर का निर्माण शुरू हुआ। 

मंगलवार को एक बड़ी एलईडी पर अयोध्या में पीएम नरेंद्र मोदी के ध्वजारोहण कार्यक्रम को देखा। दोपहर 12 बजे पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा अयोध्या श्रीराम मंदिर के 191 फीट ऊँचे शिखर पर सूर्य के मध्यांकित ‘ऊँ’ व कौविदार वृक्ष का केसरिया ध्वजारोहण कर श्रीराम मंदिर निर्माण पूर्ण होते ही उत्साहित कार्यकर्ताओ की तालियों की गड़गड़ाहट और जय श्रीराम के उद्घोष से पूरा पंडाल गूंजने लगा। पार्टी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं से हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ किया और साधु संतों को सम्मानित किया गया।

एमएलसी अरुण पाठक ने कहा कि 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच द्वारा श्रीराम जन्मभूमि के पक्ष में फैसला सुनाने के बाद 25 मार्च 2020 को पूरे 28 साल बाद रामलला टेंट से निकलकर फाइबर मंदिर में स्थापित हुए थे। 5 अगस्त 2020 को पीएम मोदी ने राम जन्मभूमि परिसर में भूमिपूजन कर श्रीराम मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी और 22 जनवरी 2024 को रामलला की मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा हुई। तब से करोड़ों देशवासी भगवान श्रीराम के दर्शन करने अयोध्या जा रहे हैं।

भाजपा दक्षिण जिलाध्यक्ष शिवराम सिंह ने कहा कि अयोध्या में भगवान श्रीराम के दर्शनों के पीछे दशकों से चली लंबी कानूनी लड़ाई और पार्टी कार्यकर्ताओं का त्याग, तपस्या और बलिदान है।     

प्रमुख रूप से अनीता गुप्ता, रघुनंदन भदौरिया, जसविंदर सिंह, सुरेन्द्र तिवारी ,गणेश शुक्ला, अनुराग शुक्ला, अरविन्द वर्मा, बिट्टू परिहार, दीपांकर मिश्रा, विनीत दुबे, दीपू पासवान आदि मौजूद रहे।

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