कानपुर नगर। बुधवार 08अक्टूबर 2025 (सूत्र/संवाददाता) सूर्य दक्षिरायण, कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा शरद ऋतु २०८२ कालयुक्त नाम संवत्सर। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सी.एस.जे.एम.यू.), कानपुर द्वारा विभिन्न विषयों में नव प्रवेशित पी.एच.डी. शोधार्थियों के लिए शैक्षणिक सत्र 2025–26 का अभिमुखीकरण कार्यक्रम (Orientation Program) विश्वविद्यालय सभागार में आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम लगभग 300 नए शोधार्थियों के लिए उनके शैक्षणिक सफर की शुरुआत का प्रतीक रहा, जिनमें विश्वविद्यालय परिसर तथा सम्बद्ध महाविद्यालयों दोनों के विद्यार्थी शामिल रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. नमिता तिवारी, डीन (अनुसंधान) के स्वागत भाषण से हुआ। उन्होंने सभी नव प्रवेशित शोधार्थियों का हार्दिक स्वागत किया और विश्वविद्यालय की गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान, नवाचार तथा अंतःविषयी सहयोग को प्रोत्साहित करने की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला।
माननीय कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ने विश्वविद्यालय के सशक्त अनुसंधान समुदाय से जुड़ने पर शोधार्थियों को बधाई दी। उन्होंने उन्हें सामाजिक रूप से प्रासंगिक, नवोन्मेषी और नैतिक अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित किया, जो भारत की वैज्ञानिक प्रगति और वैश्विक विकास में योगदान दे सके। प्रो. पाठक ने कहा कि वास्तविक अनुसंधान जिज्ञासा, सृजनात्मकता और समाज के प्रति उत्तरदायित्व की भावना से प्रेरित होना चाहिए।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. देश डी. सहदेव, निदेशक, क्वाजर टेक, नई दिल्ली, एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक, ने उच्च तकनीकी उपकरणों के स्वदेशी निर्माण एवं उनकी अवधारणा पर प्रेरक व्याख्यान दिया। उन्होंने विशेष रूप से स्कैनिंग टनलिंग माइक्रोस्कोप और एटॉमिक लेयर डिपोज़िशन सिस्टम जैसे अत्याधुनिक उपकरणों के विकास में भारतीय तकनीक की भूमिका पर प्रकाश डाला। डॉ. सहदेव ने शोधार्थियों से आग्रह किया कि वे अपने अनुसंधान को राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप बनाएं और आत्मनिर्भर तथा ज्ञान-आधारित भारत के निर्माण में योगदान दें।
प्रो. सुधीर कुमार अवस्थी, प्रो-वाईस चांसलर, ने “Key Concepts of Research and Career Development” विषय पर व्याख्यान दिया, जिसमें उन्होंने अनुसंधान डिजाइन, डेटा अखंडता तथा अकादमिक नैतिकता के मूलभूत सिद्धांतों पर प्रकाश डाला। उन्होंने शोधार्थियों को अपने पी.एच.डी. कार्यक्रम के दौरान एकाग्रता, धैर्य और जुनून बनाए रखने की सलाह दी। अभिमुखीकरण कार्यक्रम में उपस्थिति निगरानी प्रणाली, अनुसंधान पद्धति, वैज्ञानिक प्रकाशन, पेटेंट तथा बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) से संबंधित उपयोगी सत्र भी शामिल थे। इन सत्रों का उद्देश्य शोधार्थियों को विश्वविद्यालय के नियमों एवं अनुसंधान और नवाचार के व्यापक परिदृश्य से परिचित कराना था। कार्यक्रम में डीन (अकादमिक), डीन (प्रोजेक्ट्स) तथा अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ (R&D Cell) के सदस्य सहित अनेक प्राध्यापकगण उपस्थित रहे, जिन्होंने नव प्रवेशित शोधार्थियों के मार्गदर्शन हेतु अपना समर्थन एवं सहयोग व्यक्त किया।कार्यक्रम का समापन एक सामूहिक संवाद सत्र के साथ हुआ, जिसमें शोधार्थियों ने अपने अनुभव एवं अपेक्षाएँ साझा कीं तथा विश्वविद्यालय के वरिष्ठ शिक्षकों से उपयोगी मार्गदर्शन प्राप्त किया।इस आयोजन का सफल संचालन अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ (Research and Development Cell) तथा कैंपस रिसर्च प्रमोशन सेल द्वारा किया गया।
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