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चार घंटे की भागदौड़ के बाद हैलेट में मिली नई सांस

घाटमपुर के जलभराव से प्रभावित क्षेत्र में गड्ढे में गिरा डेढ़ साल का मासूम

कानपुर नगर। रविवार 03अगस्त 2025 (सूत्र/सूवि /पीआईबी) सूर्य दक्षिरायण, श्रावण मास शुक्ल पक्ष की नवमी, वर्षा ऋतु २०८२ कालयुक्त नाम संवत्सर। घाटमपुर के महुआपुरवा गांव में शनिवार सुबह एक साल आठ महीने का कपिल नाम का बच्चा पानी से भरे गड्ढे में गिर गया। वह अचेत था, लेकिन साँसें चल रही थीं। सुबह करीब सात बजे उपजिलाधिकारी घाटमपुर अबिचल प्रताप सिंह को परिजनों की घबराई हुई कॉल मिली। इसके बाद प्रशासन ने तुरंत रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया, जिसे 'ऑपरेशन संजीवनी' नाम दिया गया।

परिजनों ने पहले हमीरपुर अस्पताल पहुँचाया, जहाँ से हालत गंभीर देखते हुए हैलेट रेफर किया गया। रास्ते में न एम्बुलेंस फंसी न ट्रैफिक में देरी हुई क्योंकि जिले के ट्रैफिक कंट्रोल रूम से लेकर हैलेट के इमरजेंसी गेट तक पूरा सिस्टम बच्चे की साँसों को बचाने में लगा था।

डीएम को भेजी पहली कॉल, फिर शुरू हुई कड़ी से कड़ी जुड़ने की प्रक्रिया

एसडीएम ने सबसे पहले जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह को जानकारी दी। इसके बाद 108 एम्बुलेंस की आवाजाही सुचारु हो इसके लिए ट्रैफिक पुलिस को एसीपी घाटमपुर कृष्णकांत की ओर से निर्देश दिए गए। सीएमओ को हैलेट की इमरजेंसी टीम को अलर्ट रखने को कहा गया। एम्बुलेंस के पहुंचने से पहले ही डॉक्टर मौजूद थे।

एम्बुलेंस के अंदर से वीडियो कॉल पर परिजनों को भरोसा देते रहे अफसर

रेफर के बाद हैलेट तक का सफर करीब डेढ़ घंटे चला। इस दौरान एसडीएम लगातार वीडियो कॉल पर बच्चे की माँ और चाचा से जुड़े रहे। मेडिकल टीम की तैयारी और हर अपडेट सीधे परिजनों को देते रहे।

इलाज शुरू होने के 40 मिनट के भीतर मिली चेतना,खतरे से बाहर बताया

हैलेट में डॉक्टरों ने 108 एम्बुलेंस से सीधे इमरजेंसी में लाकर तुरंत इलाज शुरू किया। 40 मिनट के भीतर बच्चे को चेतना लौट आई। मेडिकल सुपरिटेंडेंट के मुताबिक बच्चा खतरे से बाहर है।

बचाव नहीं होता तो अगले 15 मिनट में स्थिति बिगड़ सकती थी

हैलेट इमरजेंसी यूनिट में तैनात एक वरिष्ठ चिकित्सक ने बताया कि अगर एम्बुलेंस रास्ते में 15 मिनट भी देर से पहुंचती तो स्थिति हाथ से निकल सकती थी। बच्चे की साँसें कमज़ोर थीं और शरीर ठंडा हो चुका था। इस मदद के लिए बच्चे के पिता राजाराम ने जिला प्रशासन का आभार जताया। उन्होंने कहा कि यदि प्रशासन की मदद से ही उनके बच्चे का जीवन बच सका है।

वर्जन - सूचना मिलते ही आवश्यक निर्देश जारी किए गए। अधिकारियों द्वारा त्वरित समन्वय से बच्चे को समय पर चिकित्सा सुविधा मिल सकी।

जितेन्द्र प्रताप सिंह, जिलाधिकारी - घटना की जानकारी मिलते ही संबंधित विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर बच्चे को समय रहते अस्पताल पहुँचाया गया। यह पूरी टीम की सक्रियता का परिणाम है कि मासूम की जान बचाई जा सकी।

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