उज्जैन। मंगलवार 26अगस्त 2025 (सूत्र/लेख) सूर्य दक्षिरायण, भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की तृतीया (हरतालिका तीज) वर्षा ऋतु २०८२ कालयुक्त नाम संवत्सर। हरतालिका तीज हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व रखने वाला पर्व है, जिसे भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। इस दिन महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन की सुख-समृद्धि, पति की लंबी आयु और अविवाहित कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। यह व्रत देश के विभिन्न हिस्सों, खासकर उत्तर भारत, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश और झारखंड में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। दक्षिण भारत में इसे "गौरी हब्बा" के नाम से भी जाना जाता है।
हरतालिका तीज का पौराणिक महत्व
हरतालिका तीज का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है - हरत जिसका अर्थ है हरण और आलिका जिसका अर्थ है सखी। पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनके पिता हिमालय ने उनका विवाह भगवान विष्णु से तय कर दिया था, लेकिन उनकी सखियों ने उनका हरण कर उन्हें जंगल में ले जाकर तपस्या के लिए प्रेरित किया। माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। तभी से इस व्रत का आरंभ हुआ और इसे अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना गया।
हरतालिका तीज की पूजा विधि
- प्रातःकाल की तैयारी - महिलाएं सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करती हैं और पूजा का संकल्प लेती हैं।
- मिट्टी की प्रतिमा - भगवान शिव और माता पार्वती की मिट्टी से बनी प्रतिमा तैयार की जाती है।
- पूजन सामग्री - पुष्प, फल, दूध, दही, पंचामृत, मेहंदी, चूड़ियां, सिंदूर और सुहाग सामग्री का उपयोग किया जाता है।
- पूजा का विधान - प्रदोष काल (संध्या के समय) में शिव-पार्वती की पूजा की जाती है। महिलाएं कथा सुनती हैं और "ऊँ नमः शिवाय" का जाप करती हैं।
- व्रत नियम - यह व्रत 24 घंटे का निर्जला व्रत होता है। महिलाएं इस दौरान जल भी ग्रहण नहीं करतीं।
इस दिन के विशेष नियम
- व्रत करने वाली महिलाएं दिन में सोती नहीं हैं और पूरी रात जागरण करती हैं।
- अशुद्ध वस्तुओं जैसे मांस, मदिरा का सेवन वर्जित है।
- व्रत के काल खंड में किसी प्रकार की नकारात्मकता से बचने का प्रयास करें।
हरतालिका तीज का संदेश
हरतालिका तीज हमें माता पार्वती की तपस्या और समर्पण की याद दिलाती है। यह व्रत न केवल वैवाहिक जीवन के सुख और सौभाग्य का प्रतीक है, बल्कि यह आत्म-संयम, धैर्य और भक्ति का पाठ भी सिखाता है।
इस वर्ष 2025 में, हरतालिका तीज आज 26 अगस्त को मनाई जा रही है। इस पावन अवसर पर महिलाएं अपने परिवार और समाज के कल्याण के लिए प्रार्थना करेंगी और अपनी श्रद्धा को व्यक्त करेंगी।
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