कानपुर नगर। शनिवार 12जुलाई 2025 (सूत्र/संवाददाता) सूर्य उत्तरायण, श्रावण मास कृष्ण पक्ष की द्वितीय, वर्षा ऋतु २०८२ कालयुक्त नाम संवत्सर। आज इंडियन मेडिकल एसोसिएशन कानपुर शाखा और मेदांता हॉस्पिटल लखनऊ के संयुक्त तत्वाधान मे, एक "वैज्ञानिक सी०एम०ई०"का आयोजन, "ऑडिटोरियम", आई.एम.ए. भवन कानपुर में, रात्रि 8:00 बजे किया गया।
इस वैज्ञानिक सी०एम०ई० मे प्रथम वक्ता डॉ. ए.के. ठक्कर (निदेशक - न्यूरोलॉजी विभाग, मेदांता अस्पताल, लखनऊ), द्वितीय वक्ता डॉ. रवि शंकर (निदेशक - न्यूरोसर्जरी विभाग मेदांता अस्पताल, लखनऊ) एवं तृतीय वक्ता डॉ. रोहित अग्रवाल (निदेशक - इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी मेदांता अस्पताल, लखनऊ) ने,"व्यापक स्ट्रोक प्रबंधन: शुरुआत से लेकर रिकवरी तक (Comprehensive Stroke Management - From Onset To Recovery)" विषय पर अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए। वक्ताओं ने बताया कि स्ट्रोक (Brain Attack) स्ट्रोक (या ब्रेन अटैक) एक गंभीर, लेकिन समय पर पहचानी जाए, तो काबू में आने वाली चिकित्सा स्थिति है। यदि लक्षणों को तुरंत पहचाना जाए और शीघ्र उपचार शुरू हो, तो न केवल जीवन बचाया जा सकता है, बल्कि रोगी फिर से सामान्य जीवन जी सकता है।
स्ट्रोक क्या होता है?
जब मस्तिष्क को रक्त पहुंचाने वाली रक्तवाहिनी, अवरुद्ध हो जाती है (Ischemic Stroke) या फट जाती है (Hemorrhagic Stroke), तब मस्तिष्क की कोशिकाएं ऑक्सीजन के अभाव में मरने लगती हैं — यही स्थिति स्ट्रोक कहलाती है।
स्ट्रोक के लक्षणों की पहचान (ज़रूरी)
- स्ट्रोक के लक्षण आमतौर पर अचानक होते हैं
- चेहरे का एक तरफ झुक जाना
- एक हाथ या पैर में कमजोरी या सुन्नता
- बोलने में दिक्कत या अस्पष्ट शब्द
- चक्कर आना या संतुलन की कमी
- आंखों की दृष्टि अचानक धुंधली होना
याद रखें “BE FAST” फार्मूला
B – Balance (संतुलन गड़बड़ाना)
E – Eyes (दृष्टि में परिवर्तन)
F – Face (चेहरे की गति असमान)
A – Arms (बांहें उठाने में असमर्थता)
S – Speech (बोलने में दिक्कत)
T – Time (समय न गँवाएं – तुरंत अस्पताल पहुँचें)
इलाज और पुनर्वास – हर कदम अहम
- पहले 4.5 घंटे में इलाज (Golden Window)
- थ्रोम्बोलाइटिक दवाएं रक्त प्रवाह बहाल करती हैं।
- 24 घंटे के अंदर विशेष देखभाल
- सघन निगरानी, स्कैन और न्यूरोलॉजिस्ट की सलाह ज़रूरी।
पुनर्वास (Recovery)
फिजियोथेरेपी, स्पीच थैरेपी और भावनात्मक सहयोग से रोगी सामान्य जीवन की ओर लौट सकता है।
कैसे करें बचाव
- उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल का नियमित परीक्षण
- धूम्रपान और शराब से दूरी
- रोज़ाना व्यायाम और संतुलित आहार
- मानसिक तनाव से मुक्ति
जनता से अपील
स्ट्रोक एक "साइलेंट किलर" है, लेकिन समय पर जानकारी और इलाज से, इसे रोका जा सकता है। परिवार के हर सदस्य को इसके लक्षणों की पहचान और प्राथमिक कदमों की जानकारी होनी चाहिए।
"समय पर पहचानें, समय पर उपचार लें — स्ट्रोक से जीवन की रक्षा करें।"
आज के विषय पर प्रकाश डॉ. नवनीत कुमार (वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट, पूर्व प्राचार्य एवं डीन, जी.एस.वी.एम. मेडिकल कॉलेज, कानपुर) ने दिया एवं आज के वक्ताओं का परिचय, प्रो. डॉ. मनीष सिंह (विभागाध्यक्ष, न्यूरोसर्जरी विभाग, जी.एस.वी.एम. मेडिकल कॉलेज, कानपुर) ने दिया।
आई.एम.ए. कानपुर की अध्यक्ष डॉ. नंदिनी रस्तोगी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की, तथा आए हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन तथा अंत में धन्यवाद ज्ञापन, आई.एम.ए. कानपुर के सचिव, डॉ. विकास मिश्रा ने दिया। इस कार्यक्रम के चेयरपर्सन डॉ. नवनीत कुमार (वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट,पूर्व प्राचार्य एवं डीन, जी.एस.वी.एम. मेडिकल कॉलेज, कानपुर), प्रो. डॉ. मनीष सिंह (विभागाध्यक्ष, न्यूरोसर्जरी विभाग, जी.एस.वी.एम. मेडिकल कॉलेज, कानपुर), डॉ. अमित गुप्ता (वरिष्ठ न्यूरोसर्जन, कानपुर) एवं डॉ. पुनीत दीक्षित (वरिष्ठ न्यूरोफिजिशियन, न्यूरो एवं नेत्र क्लिनिक, कानपुर थे।
इस कार्यक्रम में, डॉ. ए.सी. अग्रवाल, चेयरमैन वैज्ञानिक सब कमेटी, डॉ. कुणाल सहाय, उपाध्यक्ष, आई.एम.ए. कानपुर एवं डॉ कीर्ति वर्धन सिंह संयुक्त वैज्ञानिक सचिव, प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
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