कानपुर नगर। गुरुवार 31जुलाई 2025 (सूत्र/संवाददाता) सूर्य दक्षिणायन, श्रावण मास शुक्ल पक्ष की सप्तमी, वर्षा ऋतु २०८२ कालयुक्त नाम संवत्सर। कानपुर। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू), कानपुर में गुरुवार को माननीय कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक जी के मार्गदर्शन और प्रेरणा से गोस्वामी तुलसीदास जयंती के अवसर पर भव्य प्रतिमा अनावरण, स्मारिका विमोचन और संगोष्ठी समारोह का आयोजन किया गया।
सनातन सेवा सत्संग कानपुर प्रांत एवं श्रीमद्भागवतगीता एवं वैदिक वांगमय शोधपीठ द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने संगमरमर से बनी गोस्वामी जी की भव्य प्रतिमा का अनावरण करते हुए अपने प्रेरणादायक संबोधन में गोस्वामी तुलसीदास जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला। उपमुख्यमंत्री श्री बृजेश पाठक ने अपने भाषण में कहा कि गोस्वामी तुलसीदास का जीवन संघर्षों से भरा रहा, लेकिन उन्होंने समाज को धर्म, आस्था और नैतिकता का मार्ग दिखाया। उन्होंने तुलसीदास जी के प्रेरणादायक दोहों का उल्लेख करते हुए छात्रों को मूल्य आधारित जीवन जीने की प्रेरणा दी। इस आयोजन के माध्यम से विश्वविद्यालय के छात्रों को गोस्वामी तुलसीदास जी की शिक्षाओं और कृतियों को समझने का अवसर मिला। उनके आदर्शों और जीवन मूल्य छात्रों के चरित्र निर्माण में सहायक सिद्ध हो सकते हैं।
विश्वविद्यालय के कुलपति विनय कुमार पाठक ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। उन्होंने छात्रों को गोस्वामी तुलसीदास जी की तरह ज्ञान प्राप्ति के लिए दृढ़ संकल्पित होने के लिए प्रेरित किया।"श्रीरामचरित मानस एवं श्रीमद्भगवद्गीता में जीवन प्रबन्धन" विषयक संगोष्ठी में मुख्य वक्ता आचार्य चिन्मय मिशन के स्वामी प्रबुद्धानंद महाराज ने अध्यापकों और छात्रों को जीवनोपयोगी मार्गदर्शन प्रदान किए। उन्होंने कहा कि गीता और मानस हमें जीवन जीने का तरीका सिखाते हैं। हमें कर्मयोग अध्याय से अपने कर्मों को निष्काम भाव से करने की प्रेरणा मिलती है। उन्होंने कहा कि मानस में तुलसीदास ने श्रीराम जी के चरित्र के माध्यम से मर्यादित जीवन जीने की राह दिखाई है। ये ग्रन्थ हमारे अतीत के ज्ञान के साथ वर्तमान और भविष्य में जीवन जीने की कला सिखाते हैं।
मानस मर्मज्ञ वीरेंद्र याज्ञनिक जी ने श्रीरामचरित मानस के प्रसंगों से छात्रों और अध्यापकों को अभिभूत किया। उन्होंने कहा कि हमें अपने जीवन के चारों पुरुषार्थों धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्राप्ति का मर्यादापूर्वक पालन करने की शिक्षा मिलती है। इसी के साथ "श्रीमद्भगवद्गीता : कालजयी सन्देश" स्मारिका का भी विमोचन किया गया। शाम को वीरांगना लक्ष्मीबाई प्रेक्षागार में मानस मयंक पंडित अजय याज्ञनिक जी ने संगीतमय सुंदरकांड का पाठ किया। सभी ने भगवान श्री राम के अनन्य सेवक प्रभु हनुमान जी के साहस और शौर्य की गाथा सुनी। सभी ने प्रभु हनुमान जी के जयकारे लगाए।
कार्यक्रम में आयुर्वेदाचार्य वंदना पाठक, प्रति कुलपति प्रो सुधीर कुमार अवस्थी, उमेश पालीवाल, कुलसचिव राकेश कुमार, आचार्य सुधीर भाई मिश्र, समेत शिक्षकों, कर्मचारियों एवं छात्रों ने हिस्सा लिया।
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