निरीक्षण के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि परियोजना के बीच में एक अनावश्यक ट्रेनिंग सेंटर जोड़ने का प्रस्ताव लाया गया, जिसे बाद में हटाना पड़ा। प्रारंभिक डीपीआर उत्तर प्रदेश एनएसएस (अब यूपीएआरएनएसएस) द्वारा तैयार की गई थी, किंतु विभागीय समन्वय की कमी के चलते इसमें कई तकनीकी खामियाँ रह गईं। स्थिति यह है कि डीपीआर बनाने वाली संस्था ही अब अन्य विभागों से तकनीकी जानकारी मांग रही है, जबकि यह कार्य स्वयं उसकी ज़िम्मेदारी में आता है।
जिलाधिकारी ने परियोजना में हुई अनावश्यक देरी व कार्यदायी संस्था की लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए परिवहन विभाग को निर्देशित किया कि जिम्मेदार अधिकारियों की पहचान कर उनकी जवाबदेही तय की जाए और उनके विरुद्ध कार्रवाई हेतु शासन को रिपोर्ट भेजी जाए। साथ ही उन्होंने कार्यदाई संस्था को कड़े निर्देश दिए कि शेष निर्माण कार्य की स्पष्ट समयसीमा तय कर उसे शीघ्र पूरा कराया जाए। वर्तमान समय में परिवहन विभाग द्वारा वाहनों के निरीक्षण एवं प्रमाणन का कार्य अस्थायी व्यवस्था के तौर पर पनकी में किया जाता है।
जिलाधिकारी ने कहा कि प्रमुख सचिव परिवहन सहित अन्य संबंधित अधिकारियों से संपर्क स्थापित कर प्रशासनिक एवं तकनीकी अड़चनों का तत्काल समाधान सुनिश्चित किया जाए जिससे परियोजना को शीघ्र चालू किया जा सके। यह परियोजना महानगर में वाहनों के निरीक्षण और प्रमाणन की पारदर्शी व्यवस्था लागू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगी, जिससे आम जनता को सीधा लाभ मिलेगा।
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