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श्रीमद भागवत कथा में आचार्य ने भगवान कृष्ण और सुदामा की मित्रता का प्रसंग सुनाया

अजीतमल औरैया। शनिवार 14जून 2025 (सूत्र/दीपक अवस्थी) सूर्य उत्तरायण, आषाढ़ मास कृष्ण पक्ष की तृतीया, ग्रीष्म ऋतु २०८२ कालयुक्त नाम संवत्सर। अजीतमल क्षेत्र के ग्राम अमावता में चल रही सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा के विराम दिवस की कथा व्यास आचार्य अनुज द्विवेदी जी महाराज ने विभिन्न प्रसंगों पर प्रवचन दिए।

श्रीमद भागवत कथा के व्यास आचार्य अनुज द्विवेदी जी का फूल माला, अंगवस्त्र, प्रतीक चिन्ह और पगड़ी पहनाकर स्वागत करने वालो मे राजेश अवस्थी, सुधीर अवस्थी, दीपक सिंह सेंगर, शैलेंद्र उर्फ शैलू सेंगर, हर्ष सेंगर, राज सेंगर, राधा मोहन, रवि दुबे आदि लोगो मुख्य रूप से रहे।

आचार्य ने कहा कि सातवें दिन की कथा में भगवान श्री कृष्ण की अलग-अलग लीलाओं का वर्णन किया गया। मां देवकी के कहने पर छह पुत्रों को वापस लाकर मा देवकी को वापस देना सुभद्रा हरण का आख्यान कहना एवं सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कथा व्यास आचार्य अनुज द्विवेदी जी महाराज ने बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्री कृष्ण सुदामा जी से समझ सकते हैं। उन्होंने कहा कि सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र (सखा) से सुदामा मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे। उन्होंने कहा कि सुदामा द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं। इस पर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है।अपना नाम सुदामा बता रहा है। जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना प्रभु सुदामा सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया। सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया और सुदामा को अपने महल में ले गए ओर उनका अभिनंदन किया। 

इस दृश्य को देखकर श्रोता भाव विभोर हो गए। सात दिवसीय भागवत कथा में प्रत्येक दिन सरवत वितरण अलग अलग लोगों द्वारा किया गया। इस अवसर पर ध्रुव मास्टर, पप्पू पंडित,बबलू सेंगर,शीलू सेंगर, दीपक , अल्पेश, अनुज,लल्ला, पारस, लकी, युवराज, अमन, समर, मोनू, कल्लू, अंशु , आदर्श सेंगर,बउआ सहित सैकड़ों गणमान्य व कार्यकर्ता लोग मौजूद थे।

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