कानपुर नगर। रविवार 01जून 2025 (सूत्र/संवाददाता) सूर्य उत्तरायण, ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष की पंचमी, ग्रीष्म ऋतु २०८२ कालयुक्त नाम संवत्सर। प्रख्यात पल्मोनोलॉजिस्ट, शिक्षाविद्, और श्वसन चिकित्सा के क्षेत्र में अग्रणी डॉ. एस.के. कटियार अपने निरंतर समर्पण और उत्कृष्ट योगदान के स्वर्ण जयंती वर्ष को गर्वपूर्वक मना रहे हैं।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर के पूर्व छात्र डॉ. कटियार ने 1965 में चिकित्सा शिक्षा आरंभ की और यहीं से MBBS, DTCD एवं MD (Tuberculosis & Respiratory Diseases) की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने 31 मई 1975 अपरान्ह में टीबी एवं श्वसन रोग विभाग में शिक्षक के रूप में कार्यभार ग्रहण किया और फिर लेक्चरर, रीडर, प्रोफेसर, एवं विभागाध्यक्ष के रूप में सेवा दी। वे प्रॉक्टर, प्राचार्य और डीन, तथा एलएलआर एवं संबद्ध चिकित्सालयों के सुपरिनटेन्डेन्ट-इन-चीफ के रूप में भी कार्यरत रहे। वह अपनी तीन दशकों से भी अधिक की विशिष्ट शैक्षणिक यात्रा के उपरांत फरवरी 2008 में सेवानिवृत्त हुए।
डॉ. कटियार ने राष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतिष्ठित पदों पर कार्य किया है, जिनमें शामिल हैं: नेशनल कॉलेज ऑफ चेस्ट फिजीशियंस (NCCP & India) के अध्यक्ष इंडियन चेस्ट सोसाइटी के अध्यक्ष टीबी एसोसिएशन ऑफ इंडिया (TAI) के अध्यक्ष उनकी सेवाओं के लिए उन्हें कई प्रमुख पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें मुख्य रूप से निम्नवत् हैः
लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड एनसीसीपी (इंडिया), इंडियन चेस्ट सोसाइटी, यूनाइटेड एकेडमी ऑफ पल्मोनरी मेडिसिन स्वर्ण पदक टीएआई (TAI) और उत्तर प्रदेश टीबी एसोसिएशन राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP), Ministry of Health & Family Welfare, भारत सरकार द्वारा सम्मानित, छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर द्वारा शिक्षा में योगदान हेतु सम्मान, उत्तर प्रदेश मर्चेंट चेम्बर द्वारा एक्सीलेंस अवार्ड, रोटरी फाउण्डेशन, (यू.एस.ए.) के 'पॉल हैरिस फैलो' द्वारा सम्मानित
उन्होंने राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मंचों पर Oration, Keynote address और अनेकों Guest lecture दिये और विश्व की कई संस्थाओं की सदस्यता एवं फैलोशिप प्राप्त की है।
श्वसन चिकित्सा में उनके अनुसंधान कार्य का वैश्विक प्रभाव रहा है। 'इनहेल्ड एंटी-ट्यूबरकुलर ड्रग डिलीवरी और मुख्य रूप से 'हाई-डोज़ आयसोनियाजिड पद MDR & TB में पर उनका शोध, International Journal of Tuberculosis & Lung Diseases में प्रकाशित हुआ, जिसे WHO और IUATLD ने उद्धृत किया और इसे उनकी International treatment guidelines on MDR-TB में शामिल किया गया। डॉ. कटियार, एम.डी., डी.टी.सी.डी. और डी.एन.बी. परीक्षाओं के परीक्षक भी रहे हैं और उनके अनेक विद्यार्थी देश-विदेश में प्रतिष्ठित पदों पर कार्यरत हैं। उन्होंने समाज सेवा के अंतर्गत कई मानवीय परियोजनाओं में सक्रिय भूमिका निभाई है। वर्ष 1975 में अपनी क्लिनिकल प्रैक्टिस प्रारंभ करने के बाद, उनका केंद्र आज एक प्रमुख श्वसन चिकित्सा केंद्र (Pulmonary Care Centre) बन चुका है। यहाँ उच्च स्तरीय रेडियोलॉजी, एडवांस पल्मोनरी फंक्शन टेस्टिंग (PFTs). ऑडियोमेट्री, ECG, ब्रोंकोस्कोपी (TBLB/TBNA सहित). CT-गाइडेड बॉयोप्सी. मेडिकल थोराकोस्कोपी आदि की प्रमुख सुविधाएँ उपलब्ध है: Interventional, In patient और Critical सेवाएं Apollo Spectra Hospital के माध्यम से प्रदान की जाती हैं। फार्मेसी एवं आउटसोर्स लेबोरेटरी सेवाएं भी केन्द्र पर उपलब्ध हैं।
हाल के वर्षों में उनके सुपुत्र डॉ. संदीप कटियार भी उनसे जुड़ गए हैं। उन्होंने भारत के प्रतिष्ठित संस्थानों से MBBS एवं D.N.B. की उपाधियाँ प्राप्त की तथा European Diploma in Respiratory Medicine भी प्राप्त किया। मेडिकल थोराकोस्कोपी में वह 2000 से अधिक प्रक्रियाएं कर चुके हैं, जो कि अपने आप में एक कीर्तिमान है तथा वह एक राष्ट्र स्तरीय प्रशिक्षक के रूप में डॉक्टरों को देश के विभिन्न भागों में प्रशिक्षित कर रहे हैं।
यह केंद्र क्लिनिकल रिसर्च में भी अग्रणी रहा है जैसे कि राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय ड्रग ट्रायल्स, ILD रजिस्ट्री (जिसमें यह राष्ट्रीय स्तर पर चौथे स्थान पर रहा), आई.आई.टी.. कानपुर तथा अन्य संस्थानों के साथ सहयोग कर शोध कार्य सम्पन्न किये। इनके द्वारा सम्पन्न शोध कार्य Scientific Reports (Nature Group) Chest, American Journal of Respiratory and Critical Care of Medicine सहित कई प्रतिष्ठित जर्नल्स में प्रकाशित हुये हैं। इन्होंने कई नेशनल गाइडलान्स एवं Consensus Statements के निर्माण में सहभागी की, जिनमें मुख्य रूप से फ्लेक्सिबल ब्रॉकोस्कोपी मेडिकल थोरास्कोपी, प्लूरल इफ्यूजन, एडल्ट इम्प्यूनाइजेशन, पोस्ट-कोविड मैनेजमेंट, नेब्युलाइजेशन थेरेपी, इंटरस्टीशियल लंग डिज़ीज़ (ILD) आदि शामिल हैं। डॉ. कटियार और डॉ. संदीप द्वारा कई पाठ्यपुस्तकों में अध्याय भी लिखे गए हैं।
कानपुर, उत्तर प्रदेश तथा देश के अन्य क्षेत्रों में सेवा के 50 वर्षों के अवसर पर यह स्वर्ण जयंती चिकित्सा क्षेत्र में उनके समर्पण, शिक्षण, अनुसंधान और करुणामय चिकित्सा सेवा की अनुपम विरासत का प्रतीक है।
हम मीडिया चिकित्सा समुदाय और सभी शुभचिन्तकों से इस ऐतिहासिक अवसर पर शामिल होकर स्वस्थ फेफड़ों और स्वस्थ भविष्य के संकल्प को सुदृढ़ करने का आग्रह करते हैं।
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