चित्रकूट। शनिवार 31मई 2025 (सूत्र/सूवि/पीआईबी) सूर्य उत्तरायण, ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष की चतुर्थी, ग्रीष्म ऋतु २०८२ कालयुक्त नाम संवत्सर। पुण्यश्लोक लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की 300 वीं जन्म जयंती के पावन अवसर पर 'लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर सामाजिक संगठन' के तत्वाधान में आज जनपद चित्रकूट के नगर क्षेत्र में भव्य शोभा यात्रा निकली गई तथा शैक्षणिक सत्र 2024-25 के पाल समाज के मेधावी छात्र छात्राओं को सम्मानित भी किया गया।
'लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर सामाजिक संगठन' द्वारा प्रतिवर्ष एक बड़े कार्यक्रम के माध्यम से जनपद के मेधावी छात्र छात्राओं को सम्मानित करने का कार्य किया जाता है, जिसमें उनके माता-पिता /अभिभावक भी सम्मिलित होते हैं।
हमारी यह युवा पीढ़ी ही उन्नत राष्ट्र निर्माण की आधारशिला है। इस प्रकार के कार्यक्रम युवा पीढ़ी का मनोबल बढ़ाने का कार्य करते हैं। संगठन आगे भी इस प्रकार के कार्यक्रम करता रहेगा। हमारा लक्ष्य समाज को राष्ट्र निर्माण के लिए वैचारिक रूप से जागृत करने का है, ताकि हर व्यक्ति भारत को आगे बढ़ाने में अपना सक्रिय योगदान दे सके। यह विचार संगठन के सचिव श्री रामरूप पाल, अध्यक्ष श्री जगमोहन पाल, कोषाध्यक्ष श्री बी डी पाल ने सम्मिलित रूप से व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि इस शोभा यात्रा के माध्यम से पाल समाज ने लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर जी के प्रति अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त की है। शोभा यात्रा निकालने में उन्हें जिला प्रशासन का भरपूर सहयोग प्राप्त हुआ। लोकमाता का विराट व्यक्तित्व और कृतित्व हम सबके लिए प्रेरणा प्रदान करता है।
आज से ढाई - तीन सौ वर्ष पहले जब हमारा देश गुलाम था उस कालखंड में हमारी नारी शक्ति की स्वरूपा महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने सुशासन विकास व सनातन धर्म की विरासत को बढ़ाने का कार्य किया। महिला सशक्तिकरण का कार्य उन्होंने उस समय किया। विभिन्न प्रचार माध्यमों का उपयोग करते हुए लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर के योगदान से जन जन को अवगत कराना चाहिए।सम्मान समारोह की मुख्य अतिथि मातृशक्ति गुलाबी गैंग की राष्ट्रीय कमांडर श्रीमती सम्पत पाल ने मेधावी छात्र छात्राओं को पुरस्कृत करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की तथा देश व समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों के निर्वहन की बात कही। उन्होंने कहा कि रानी अहिल्याबाई होल्कर नारी शक्ति की मिसाल हैं, जिनके योगदान को कोई भूल नहीं सकता है। हम सब को उनके चरित्र से प्रेरणा लेनी चाहिए। समाज निर्माण में हर घर को आगे आना चाहिए।
कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं पूर्व सहायक निदेशक बेसिक शिक्षा विभाग,लखनऊ श्री रामेश्वर पाल ने बच्चों को सम्मानित करते हुए उनके सुनहरे भविष्य की कामना की। उन्होंने कहा कि यह बच्चे की हमारा भविष्य हैं इसलिए इन्हें बेहतर संसाधन,वातावरण उपलब्ध कराना माता पिता, अभिभावक, समाज व लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर सामाजिक संगठन जैसे संगठनों की है। पढ़ाई में की गई मेहनत का फल जरूर मिलता है।जरूरत सच्ची लगन से कार्य करने की है तथा पढ़ाई में बाधक तत्वों से दूर रहें। पढ़ाई में तकनीक का उपयोग आज की आवश्यकता है लेकिन सिर्फ तकनीक पर आश्रित होना भी ठीक नहीं है। बच्चे मोबाइल का सदुपयोग करें। प्रतियोगी परीक्षाओं की ओर बढ़ने वाले विद्यार्थियों की कैरियर काउंसलिंग की दिशा में कार्य किए जाने की आवश्यकता है। लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर सामाजिक संगठन द्वारा पाल समाज के बच्चों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देना समाजोत्थान की दिशा में एक उल्लेखनीय प्रयास है। हम सब अपनी पूर्वज श्रद्धेय लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर जी के ऋणी हैं जिन्होंने हम सभी को समाज जीवन में आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त किया। अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनके दिखाए मार्ग पर चलें और अपने देश, समाज,परिवार का नाम रोशन करें।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय के बी.एड. संकाय के विभागाध्यक्ष प्रो. रजनीश बघेल जी ने कहा कि "वह पथ क्या, पथिक कुशलता क्या, जिस पथ पर बिखरे शूल न हों, नाविक की धैर्य परीक्षा क्या, जब धाराएँ प्रतिकूल न हों"। लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर जी ने निजी संघर्षों के साथ अपनी मालवा क्षेत्र की प्रजा के कल्याण के लिए 28 वर्षों तक कार्य किया। 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के चांडी ग्राम में एक सामान्य परिवार में जन्मी बालिका ने अपने 70 वर्षों के जीवल काल में अपने कार्यों से पुण्यश्लोक,लोकमाता तक का सफर पूरा किया। अहिल्याबाई होल्कर जी का जीवन पूरे विश्व की महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है।दुनिया के विभिन्न ताकतवर देशो में जिस समय महिलाएं अपने अधिकारों व हकों की मांग के लिए आंदोलन कर रही थीं, उस समय भारत में नर्मदा नदी के किनारे मालवा क्षेत्र में महारानी अहिल्याबाई होलकर सुशासन व समृद्धि की नींव रख रही थीं। उनके सुशासन के मॉडल को आज भारत सहित कई देश अपना रहे हैं। महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने महिलाओं,किसानों, हस्तशिल्पियों, कारीगरों, आदिवासियों के कल्याण के कार्य किए। फसलों की सिंचाई हेतु नर्मदा नदी में बांध बनवाया। महिलाओं की एक सेना गठित की। महेश्वर को टेक्सटाइल का हब बनाया। महेश्वर की साड़ी आज भी प्रसिद्ध है। भील आदिवासियों को मुख्यधारा से जोड़ने का कार्य किया। हम सभी को लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर के व्यक्तित्व से सीखना चाहिए कि तमाम झंझावातों के बावजूद कार्य के प्रति समर्पण का भाव हमे आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। हमारे आगे बढ़ने में शिक्षा प्रमुख माध्यम है। दहेज प्रथा को समाप्त करने के लिए हर व्यक्ति को प्रयास करना होगा।
क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी,चित्रकूट श्री आसाराम पाल ने कहा कि माता पिता,अभिभावकों को बच्चों को टाइम देना होगा क्योंकि वह ही बच्चों के सबसे अच्छे दोस्त होते हैं। बच्चों की रुचि, अभिरुचि उनके आगे बढ़ने में बहुत बड़ा रोल निभाती है इसलिए हमें बच्चों की मनःस्थिति को भी समझना चाहिए। पाल समाज के मेधावी छात्र छात्राओं के इस सम्मान समारोह में चिकित्साधिकारी डॉ रूबी पाल व डॉ संदीप पाल, संगठन के उपाध्यक्ष जमुना प्रसाद पाल, समाजसेवी कालीचरण पाल, राकेश पाल ने भी अपने विचार व्यक्त किए।इस अवसर पर पाल समाज के प्रबुद्धजन- शिक्षकगण, अधिवक्तागण, समाजसेवी, लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर सामाजिक संगठन के विभिन्न पदाधिकारी सहित मेधावी छात्र छात्रा व उनके परिजन उपस्थित थे।
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