लखनऊ। सोमवार 26मई 2025 (सूत्र/सूवि/पीआईबी) सूर्य उत्तरायण, ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी, ग्रीष्म ऋतु २०८२ कालयुक्त नाम संवत्सर। विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस (28 मई, 2025) के उपलक्ष्य पर वर्ष की थीम पर आधारित माहवारी स्वच्छता प्रबंधन पर सत्र का आयोजन मिशन निदेशक महोदया की अध्यक्षता में आज किया गया।
डा0 पिंकी जोवल, मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उ0प्र0 द्वारा किशोर स्वास्थ्य अनुभाग, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उ0प्र0 एवं सहयोगी संस्था न्यूट्रीशनल इंटरनेशलन (एन0आई0) के सहयोग से विकसित की गयी पॉकेट पुस्तिका “माहवारी स्वच्छता प्रबंधन-अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उनके यथोचित उत्तर” का विमोचन किया गया।
विमोचन अवसर पर मिशन निदेशक महोदया ने कहा कि पुस्तिका में मासिक धर्म, स्वच्छता, छोटी मोटी परेशानियां, बीमारियों व देखभाल, स्वच्छता सम्बंधी उत्पादों का उपयोग, सैनेटरी नैपकिन्स का निपटान, भ्रातियां एवं पाराम्परिक प्रथाओं, आहार एवं शारीरिक गतिविधियों पर पूछे जाने वाले प्रश्नों का समावेश है, जो किशोरियों महिलाओं को निश्चित रूप से उनके मन मे माहवारी सम्बंधी प्रश्नों के उत्तर देने में सक्षम होंगी। साथ ही, मिशन निदेशक महोदया द्वारा कहा गया कि माहवारी स्वच्छता प्रबंधन में पुरूष प्रतिभागिता बहुत जरूरी है और उनका अह्म भूमिका है। पुरूषों की सहभागिता के कारण ही महिलाओं को उनकी गरिमा एवं अधिकार प्राप्त करने में समर्थन मिल सकेगा।
मिशन निदेशक महोदया ने अपने सम्बोधन में यह भी कहा कि यदि जमीन उपजाऊ है तो आने वाले समय में अच्छी फसल होगी। इसी प्रकार से यदि किशोरियों में माहवारी स्वच्छता प्रबंधन सम्बंधी कुशलता विकसित हो गयी तो भविष्य में आने वाली पीढियों में स्वस्थ्य एवं सुरक्षित हो सकेंगी।
इससे पूर्व कार्यक्रम के शुभारम्भ अवसर पर डा0 सतीश कुमार गौतम, महाप्रबंधक-किशोर स्वास्थ्य ने माहवारी स्वच्छता के महत्व के महत्व को रेखांकित किया। सत्र के दौरान डा0 जोय़ा अली रिज़वी, डिप्टी कमिश्नर, भारत सरकार द्वारा माहवारी स्वच्छता प्रबंधन पर तकनीकी सत्र किया गया तथा माहवारी से सम्बंधित विभिन्न पहलूओं पर प्रकाश डाला गया। सुश्री सीमा गुप्ता एवं सुश्री संगीता करमाकर स्वयंसेवी संस्था सी0के0डी0 एवं एन0आई0 द्वारा क्षेत्रीय अनुभवों/बेस्ट प्रैक्टिस को साझा किया गया।
किशोरियों एवं महिलाओं के गरिमा एवं प्रजनन सम्बन्धी अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए माहवारी एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा है। लोग इस पर बात नहीं करना चाहते हैं, इसका नतीजा है कि बहुत सी महिलाओं एवं किशोरियों में प्रजनन सम्बन्धी बीमारियों में बढ़ावा मिलता है। किशोरियों को भ्रान्तियों के चलते लड़कियों एवं महिलाओं पर अनेकों प्रकार के प्रतिबन्ध, शर्मिंदगी एवं अपमान का सामना करना पड़ता है, जैसे बाहर न निकलने देना, विद्यालय न जाना, रसोई में न जाना, धार्मिक स्थलों पर न जाना इत्यादि जिससे कहीं न कहीं महिलाओं के (अधिकारों) का हनन भी होता है। यदि हम सभी इस मुद्दे पर कार्य करें तो महिलाओं, किशोरियों को सशक्त बनाया जा सकता है। जैसे स्कूलों में लड़़कियों के लिए अलग से शौचालय की व्यवस्था करना, उन्हें बाहर निकलने के मौके देना, पुरूषों की सहभागिता, साफ कपड़े से सेनेटरी पैड बनाने का तरीका एवं उपलब्धता, पैड के सुरक्षित निस्तारण की व्यवस्था इत्यादि।
वर्चुअल सत्र में किशोर स्वास्थ्य कांउसलर्स, फैमिली प्लानिंग कांउसलर्स, आई0सी0टी0सी0 काउन्सलर्स सी0एच0ओ0 एवं डी0ई0आई0सी0 मैनेजर तथा आर0के0एस0के कोआर्डिनेटर, जनपदीय नोडल अधिकारी तथा स्वयसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।
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