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जब मेडल एवं पुरस्कार पाकर विद्यार्थियों के खिले चेहरे

अकबरपुर। मंगलवार 08अप्रैल 2025 (सूत्र) सूर्य उत्तरायण, चैत्र मास शुक्ल पक्ष एकादशी (नव वर्ष प्रारंभ), बसंत ऋतु २०८२ कालयुक्त नाम संवत्सर। आंचलिक विज्ञान नगरी, लखनऊ एवं विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद, उत्तर प्रदेश द्वारा “तोड़-फोड़ के जोड़” विषय पर आधारित नवाचार कार्यशाला का आयोजन जनता इंटर कॉलेज बाढ़ापुर कानपुर देहात में हुआ। इस अवसर पर जनता इंटर कॉलेज बाढ़ापुर के प्रधानाचार्य डॉ. योगेश कुमार मिश्रा, डॉ. विकास मिश्रा तथा आंचलिक विज्ञान नगरी, लखनऊ के शिक्षा अधिकारीगण श्री विकास एवं श्री राम कुमार उपस्थित थे।

कार्यशाला के उद्घाटन के अवसर पर डॉ. विकास मिश्रा ने बताया कि दुनिया के सभी देश निरंतर अपने राष्ट्र निर्माण के लिए नवाचार में जुटे हुए हैं क्योंकि नवाचार चुनौतियों से निपटने में मदद करता है। नवाचार वह चिंगारी है जो भविष्य को रोशन करती है। यह साहसी विचारों को वास्तविकता में बदलने, रोज़मर्रा की समस्याओं को हल करने के नए तरीके ढूंढने और चुनौतियों को अवसरों में बदलने का काम करता है। नवाचार रचनात्मकता को बढ़ावा देता है, सीमाओं को विस्तार देता है और हमारे जीने, सीखने और काम करने के तरीके में नई ऊर्जा लाता है। साधारण उपकरणों से लेकर क्रांतिकारी प्रौद्योगिकी तक, हर नया विचार एक बेहतर, उज्जवल दुनिया बनाने की शक्ति रखता है। यह सिर्फ आविष्कार नहीं है—यह कल्पना, सुधार और अलग तरीके से सोचने का साहस है।

इस अवसर पर डॉ. योगेश कुमार मिश्रा ने बताया कि नवाचार का मतलब है कुछ नया और बेहतर तरीके से करना। यह एक नया विचार हो सकता है, किसी समस्या को हल करने का स्मार्ट तरीका हो सकता है, या किसी चीज़ का नया डिज़ाइन हो सकता है जिसका हम पहले से उपयोग करते हैं। नवाचार जीवन को आसान, तीब्र या रोचक बना सकता है। यह स्कूलों, घरों, कार्यालयों या कहीं भी हो सकता है जहां लोग रचनात्मक रूप से सोचते हैं और चीज़ों को सुधारने की कोशिश करते हैं। संक्षेप में, नवाचार वह बदलाव है जो लोगों की मदद करता है और दुनिया को बेहतर बनाता है।

आंचलिक विज्ञान नगरी लखनऊ के पूर्व वरिष्ठ शिक्षा अधिकारी श्री के के चटर्जी ने विद्यार्थियों को चमत्कार के पीछे छुपे विज्ञान को विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से विस्तार पूर्वक समझाया। उन्होंने कहा कि कभी भी किसी बात पर तारक एवं चिंतन किए बिना भरोसा न करें। ना तो किसी पदार्थ को उत्पन्न किया जा सकता है और नहीं उसे नष्ट किया जा सकता है। केवल पदार्थ की अवस्था में परिवर्तन संभव है। अतः हम लोगों को कभी भी ढोंगी और पाखंडी लोगों के छलावे में नहीं आना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कबाड़ से जुगाड़ पर भी विस्तृत प्रकाश डाला एवं डेमोंसट्रेशन द्वारा विद्यार्थियों का मार्गदर्शन भी किया।

राम कुमार, शिक्षा अधिकारी, आंचलिक विज्ञान नगरी, लखनऊ ने बताया कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य एक शानदार उदाहरण प्रस्तुत करना है जो स्थिरता और नवाचार को दर्शाता है, जिससे अप्रयोज्य सामग्री को रचनात्मक, कार्यात्मक खजानों में बदला जा सके। "कचरे से संपत्ति" के सिद्धांत पर आधारित यह पहल व्यक्तियों—विशेष रूप से छात्रों और समुदायों—को प्रोत्साहित करती है कि वे कचरे को कचरा न मानकर, आविष्कार के लिए कच्चा माल मानें। चाहे वह पुराने टायरों को रंगीन सीटों में बदलना हो या टूटे हुए इलेक्ट्रॉनिक्स को कला की कृतियों में बदलना हो। यह कार्यक्रम रचनात्मकता को बढ़ावा देता है, पर्यावरणीय जागरूकता को बढ़ावा देता है और समस्या-समाधान कौशल को बढ़ावा देता है। 

यह सिर्फ पुनर्नवीनीकरण नहीं है—यह पुनः विचार करना, पुनः उपयोग करना और आधुनिक दुनिया में कचरे के उपयोग के तरीकों में एक क्रांति लाना है। कबाड़ से जुगाड़ गतिविधि हेतु विद्यार्थियों को 6 समूह में बांटा गया तथा रिवर्स इंजीनियरिंग के तहत उत्कृष्ट मॉडल बनाने वाले समूह के विद्यार्थियों को प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया। प्रमाण पत्र मेडल एवं पुरस्कार प्राप्त कर करके विद्यार्थियों के चेहरे खुशी से खिल गए। इसके साथ ही कार्यक्रम स्थल पर ही आंचलिक विज्ञान नगरी की विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोगों से सुसज्जित ‘ भ्रमणशील विज्ञान प्रदर्शनी’ बस उपलब्ध रही जिसका अवलोकन कर विभिन्न विद्यालयों के विद्यार्थियों एवं जन सामान्य ने दैनिक जीवन में मशीन विषय पर ज्ञान अर्जन किया तथा विज्ञान के विषय में नवीन, रोचक एवं बोधगम्य जानकारी को आत्मसात किया।

कार्यशाला के दूसरे द्वितीय दिवस कल ब्राइट एंजिल्स एजुकेशन सेंटर अकबरपुर में विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा।

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