कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय लखनऊ के कंप्यूटर साइंस एवं इंजीनियरिंग विभाग की सहायक आचार्य डॉ. शान-ए-फातिमा ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तथा मशीन लर्निंग विषय पर विस्तृत, प्रेरणादायक व बोधगम्य व्याख्यान दिया।
उन्होंने विद्यार्थियों को एआई और एमएल अर्थात् मशीन लर्निंग की मूल अवधारणाओं से परिचित कराया तथा बताया कि किस प्रकार एकआई ऐसे कंप्यूटर प्रोग्राम बनाता है जो इंसानों की तरह सोचने, निर्णय लेने और समस्याओं को हल करने में सक्षम होते हैं। वहीं मशीन लर्निंग एक ऐसी तकनीक है जो मशीनों को स्वयं सीखने और अनुभव के आधार पर प्रदर्शन बेहतर करने की क्षमता प्रदान करती है। उन्होंने विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से विद्यार्थियों के समक्ष स्पष्ट किया कि- किस प्रकार मशीनें सोच सकती हैं, सीख सकती हैं और निर्णय ले सकती हैं। उन्होंने मशीन लर्निंग के सुपरवाइज्ड, अनसुपरवाइज्ड और रिइंफोर्समेंट लर्निंग जैसे प्रमुख प्रकारों को सरल उदाहरणों के साथ समझाया तथा गूगल मैप्स, फेस रिकॉग्निशन, अलेक्सा और चैट जीपीटी जैसे दैनिक जीवन में उपयोग होने वाले टूल्स के माध्यम से विषय को और अधिक जीवंत बनाया। उन्होंने यह भी बताया कि तकनीक केवल भविष्य नहीं है, यह वर्तमान की आवश्यकता है। अगर हम आज के बच्चों को सही दिशा दें, तो वे कल के महान आविष्कारक बन सकते हैं।
तत्पश्चात द्वितीय तकनीकी सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में इसी विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस विभाग के अध्यक्ष डॉ. सुमन कुमार मिश्र ने विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम के अंतर्गत साइबर सुरक्षा विषय की पाठ्यचर्या पर पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से महत्वपूर्ण जानकारियां दीं। उन्होंने साइबर अपराधों, डिजिटल खतरे, डेटा सुरक्षा, और सुरक्षित ऑनलाइन व्यवहार की बारीकियों को सरल भाषा में समझाया। उन्होंने कहा कि डिजिटल युग में साइबर सुरक्षा एक अनिवार्यता बन चुकी है। जागरूकता ही सबसे बड़ा हथियार है जो बच्चों को साइबर खतरों से सुरक्षित रख सकता है। डॉ. मिश्र ने मजबूत पासवर्ड बनाने, दो-स्तरीय प्रमाणीकरण (2एफए) अपनाने और सोशल मीडिया पर सतर्कता के साथ व्यवहार करने जैसे व्यावहारिक सुझाव भी साझा किए।विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती मीनाक्षी ने कहा कि उनका प्रयास है कि विद्यार्थियों को प्रारंभिक स्तर से ही आधुनिक तकनीक और सुरक्षा के प्रति जागरूक किया जाए। आज के सत्रों से बच्चों में तकनीकी समझ और आत्मविश्वास का अद्भुत समन्वय देखने को मिला है। विद्यार्थियों ने पूरे आयोजन में उत्साहपूर्वक भाग लिया और अपने जिज्ञासापूर्ण प्रश्नों से सत्र को और अधिक प्रभावशाली बनाया तथा विभिन्न सत्रों से संबंधित विषय वस्तु से पूछे गए प्रश्नों के उत्तर देकर पुरस्कार प्राप्त किये।तकनीकी सत्र के अंत में कार्यक्रम संयोजक एवं लघु शोध परियोजना के मुख्य अन्वेषक डॉ. विकास मिश्रा ने विद्यार्थियों की सक्रिय सहभागिता हेतु उनकी प्रशंसा की तथा ब्राइट एंजिल्स एजुकेशन सेंटर के निदेशक डॉ. बलबीर सिंह ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया।
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